बुंदेलखंड म.प्र. का गौरव सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर और उसको विशेष आशीर्वाद देने वाले सदैव विश्वकल्याण की भावना करने वाले समाधिस्थ अमर संत आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जिनके आशीर्वाद से अनेक तीर्थ स्थल, हथकरघा, गौशाला, शांतिधारा, प्रतिभास्थली, पूर्णायु आदि प्रकल्पों से विश्व को सन्मार्ग की प्रेरणा मिली है।
महाकवि आचार्य विद्यासागर जी महाराज की अध्यात्ममय लेखनी पर शताधिक PhD हो चुकी हैं। उनका मूकमाटी महाकाव्य अनेक शोधार्थियों को शोध का केंद्र है जिनके आशीर्वाद से संचालित हथकरघा पर अनेक लोगों को रोजगार के साथ अहिंसक वस्त्रों का निर्माण हो रहा है। भारत राष्ट्र के गौरव सन्दर्भ में पूज्य गुरुदेव ने हमेशा कहा की भारत को इंडिया कहना गलत है क्योकि इंडिया गुलामी का प्रतीक है इसलिए उन्होंने सर्वप्रथम (इंडिया नहीं भारत बोलो) का नारा दिया, उनकी अहिंसक दृष्टि ने मूक प्राणियों के लिए अनेक गौशालाओं में शरण दी है। शिक्षा प्रत्येक मानव का अधिकार है परंतु वह शिक्षा भी संस्कारों सहित हो इत हो एतद प्रतिभा स्थली आज बालिकाओं के लिए उच्च स्तरीय शिक्षाकेंद्र बने हुए हैं। जिनके आशीष से अनेक युवागण करोड़ों रुपए का कारोबार त्यागकर अध्यात्म के मार्ग पर उन्मुख हुए हैं
18 फरवरी को ऐसे महामनीषी की समाधि को एक वर्ष हो रहा है। एतद हम सभी 18 फरवरी को दोपहर 1 बजे से श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर में आयोजित सर्वधर्म समभाव सभा के माध्यम से विनयांजलि समर्पित कर रहे हैं।
इस भावुक क्षण में विभिन्न धर्मों के संतगण जिनमें
१. वाणीभूषण बाल ब्रह्मचारी. विनय भैया जी, बंडा
२. स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी, महामंडलेश्वर, जबलपुर,
३. जगत गुरु सुखानंद द्वाराचार्य स्वामी राघव देवाचार्य जी, जबलपुर
४. हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिस्ती, साहिबजादे, दरगाह दीवान, अजमेर
५. सरदार जसबौर सिंह, पूर्व चेयरमेन, माइनॉरिटी कमीशन, राजस्थान सरकार
६. डॉ. फादर रोबी कन्नमचिरयिल, निदेशक, सेबेस्टियन CMI, चावरा केंद्र नई दिल्ली
७. फादर साबू पुथेनपुरक्कल, विकार जनरल एवं पीआरओ, सागर डायोसीस, म.प्र.
८. सनेन्द्र कनसिया, महासचिव, राष्ट्रीय ईसाई महासंघ, म.प्र.
६. भंते चंद्रमणि, बौद्ध धर्मगुरु, कानपुर
१०. पं. रघुनाथ हजारी, समन्वयक, गायत्री शक्ति पीठ, भोपाल जोन
११. हरिराया सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहिब जी, हरेमाधव दरबार, माधवनगर कटनी
१२. राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आरती दीदी, संचालिका सेवा केंद्र जबलपुर कटंगा
एवं अन्य गणमान्य संतगण अमर संत आचार्य भगवन् को विनयांजलि समर्पित करने श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र
कुंडलपुर पधार रहे हैं।