दमोह में हादसों का बढ़ता ग्राफ़: लापरवाही बनी जानलेवा, ज़िम्मेदार कौन?
दमोह।
शहर की सड़कों पर रफ्तार तो है, लेकिन जिम्मेदारी की बेहद कमी। बीते कुछ महीनों में दमोह शहर में सड़क हादसों की संख्या में चिंताजनक इजाफा देखा गया है। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि हर दिन कोई न कोई दुर्घटना किसी की ज़िंदगी को झकझोर देती है।
हादसों के पीछे छिपे प्रमुख कारण:
1. सवारी गाड़ियों का गलत संचालन:
शहर में ऑटो और अन्य सवारी गाड़ियों का संचालन बिना किसी नियम-कायदे के हो रहा है। ड्राइवरों को यातायात नियमों की जानकारी न के बराबर है, और अधिकांश चालक बिना लाइसेंस या बिना अनुभव के वाहन चला रहे हैं।
2. ओवरलोड ऑटो की भरमार:
ऑटो रिक्शा में अधिक से अधिक सवारी बैठाकर चालकों को अधिक कमाई तो हो रही है, लेकिन यह ओवरलोडिंग यात्रियों की जान के साथ खुला खिलवाड़ है। संतुलन बिगड़ते ही ऑटो पलट जाता है और दुर्घटना होना तय है।
3. बिना हेलमेट और सीट बेल्ट का चलन:
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग अब भी दमोह में गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट और चार पहिया चालकों के लिए सीट बेल्ट ज़रूरी होने के बावजूद, अधिकांश लोग इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं। नतीजतन, छोटे-मोटे हादसे भी जानलेवा साबित हो रहे हैं।
प्रशासन और नागरिकों की भूमिका ज़रूरी
दमोह में ट्रैफिक नियमों का पालन सख्ती से करवाने की आवश्यकता है। वहीं नागरिकों को भी खुद जागरूक होकर अपनी और दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। हेलमेट पहनना, सीट बेल्ट लगाना और तय मानकों के अनुसार वाहन चलाना अब केवल विकल्प नहीं, ज़रूरत है।
समाधान की दिशा में कुछ कदम:
ट्रैफिक पुलिस की निगरानी बढ़ाई जाए।
ओवरलोड वाहनों पर कड़ी कार्रवाई हो।
जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को यातायात नियमों की जानकारी दी जाए।
हेलमेट और सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से लागू किया जाए।
दमोह को सुरक्षित और अनुशासित यातायात व्यवस्था की जरूरत है ताकि हर नागरिक सुरक्षित अपने घर पहुंच सके।