ज्येष्ठ निर्यापक मुनि श्री का कुण्डलपुर की और विहार हुआ

 

ज्येष्ठ निर्यापक मुनि श्री का कुण्डलपुर की और विहार हुआ

दमोह।बड़े बाबा और छोटे बाबा संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के प्रथम दीक्षित शिष्य ज्येष्ठ-श्रेष्ठ प्रथम निर्यापक मुनिश्री समय सागर जी महामुनिराज ससंघ (१३) मुनिराज, आर्यिकारत्न श्री 105 अकम्पमति माताजी ससंघ ०८ (आर्यिकाश्री) कुल २१ पिच्छिका का मंगल विहार तेंदूखेड़ा में कल ऐतिहासिक श्री पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के सानंद संपन्न होने के साथ ही श्री सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर जी की तरफ विहार आज दोपहर हुआ। आज रात्रि विश्राम सांगा में और कल की आहाचर्या तेजगढ़ में होने की संभावना है।

 

मन को छोटा करके उदार होकर कार्य करे- आचार्य श्री

आचार्य श्री ने बताया 50 वर्ष पूर्व कैसा था कुण्‍डलपुर

दमोह।

कुण्‍डलपुर में विराजमान युगदृष्‍टा जैन संत आचार्यश्री विद्या सागर जी महाराज ने गुरूवार को अपने मंगल आशीष में पुरानी यादों को सुनाते हुए कहा कि यह वही स्‍थान है जहां प्रथम चातुर्मास हमारा हो रहा था, यहां क्षेत्र का स्‍वरूप क्‍या था, कुछ ही लोगों को ज्ञात है और अनंत चतुर्दशी के दिन धारा होनी थी, तो कहा कि महाराज जी को बुलाओ, धारा की बोली पचास रूपये से प्रारंभ होती और एक दो दो रूपये करके सौ रूपये के अंदर ही टूट जाती थी, तालियां की गडगडाहट हो जाती थी, आज यह बुन्‍देलखण्‍ड में धीरे धीरे विकास क्रम प्रारंभ हुआ, बडे बाबा के बारे में हम समझ रहे है, सोचने लगे है, पूर्व में प्रबंधक व मंदिर से जुडे लोगों ने जीर्णोद्धार का कार्य कराया है, 40-50 वर्ष की अवधि बहुत इतिहास जैसा लगता है, जब पुण्‍य बढने लगा विकास बढ गया है, यहां पहले जो धर्मशालाएं थी उनके दरवाजे इतने छोटे थे कि सिर झुका कर जाते थे, बहुत ही कम लोगों का आना जाना था, पंचवटी थी, आंगन था, अशोक का वृक्ष था, संघ यही विश्राम करता था, आहार के उपरांत बडे बाबा के मंदिर में ही तीन समय की सामायिक हुआ करती थी, स्‍वाध्‍याय, एकांत, ध्‍यान वही होता था, लोगों को पता ही नहीं चल पाता था कि महाराज जी किस मंदिर में है, लेकिन भक्‍त लालटेन लेकर आ जाते थे अब यह सब सपने जैसा लगता है, बडे बाबा और छोटे बाबा तो अकेले में ही जैसे वार्ता करते दिखते थे, जब कभी मूसलाधार बरसात हुआ करती तो पानी गिरने की ध्‍वनि, बडे बाबा व छोटे बाबा के अलावा कोई नही रहता था।

आचार्य श्री ने बताया कि अभाना, बांदकपुर, पटेरा, जटाशंकर दमोह की पहाडी, बांसा में नदी किनारे कई दिन बिताये, हटा के लोग कहते महाराज जी हटा तो आते ही नहीं, पहले तो हटा हटता ही नहीं, वहां दो शीतकालीन, दो ग्रीष्‍मकालीन वाचना हुई, लोग कहते मन नहीं भरा, भगवन इनके मन को छोटा करो, तन को भरा जा सकता है मन को नहीं, मन को मनाया करो, उदार होकर कार्य करो,

महामहोत्सव के आयोजन के लिए कुण्‍डलपुर में निरंतर संत संघो का आगमन चल रहा है, देश के कोने कोने से भी लोग इस पावन धरा को नमन करने पहुंच रहे है।

 

आज आहार देने का सौभाग्य मिला बजाज परिवार को

दमोह। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को आज नवधाभक्ति पूर्वक पड़गाहन,पूजन कर आहार देने का सौभाग्य दमोह निवासी मूल चंद गुलजारी लाल परिवार को प्राप्त हुआ। आचार्य श्री को आहार देने का सौभाग्य प्राप्त होने पर नेम चंद बजाज, सुलभ बजाज, पदम बजाज,रवींद को शुभचिंतकों ने शुभकामनाए दी है।

 

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